मेरी याद
क्या मेरी याद में तकिया पकड़ के वो सारी रात सोया होगा
तनहाई के आलम में क्या याद मुझे कर के वो भी रोया होगा
चुपके सिरहाने अपने क्या विसाल के सपने रख कर सोया होगा
वो जो एक शख्स है न सपने में भी बिछड़ कर मुझ से रोया होगा
जाने उस के मन आंगन में मेरे नाम का फूल खिला होगा या मरा होगा
~ पुर्दिल सिद्धार्थ