मिरी याद दिल से मिटाने लगे हैं
नज़र आज कल वो चुराने लगे हैं।
मिरी याद दिल से मिटाने लगे हैं।।
हमारे सपन , जो सँजोते न थकते।
वही बे – वफ़ा अब बुलाने लगे हैं।।
मुझे ज़िंदगी जो समझते थे हरदम।
क़दर आज मेरी भुलाने लगे हैं।।
हँसी औ ख़ुशी की सजाते थे महफ़िल।
ख़ुदा की कसम वो रुलाने लगे है।।
सातेंदर बनाया जिसे था सहारा।
वही बे – सहारा बनाने लगे हैं।।
✍️ सतेन्द्र गुप्ता
पडरौना-कुशीनगर
मो. :- 6393000233