मेरी याद दिलाती होगी ही
वो पार्क कि
अशोका के नीचे
किनारे में रखी
लकड़ी की टूटी सी
बैठक की तख्ती
मेरी याद दिलाती होगी ही ….
वो ऑटो की किच किच
ई रिक्शे की खिट पिट
सोयाबीन की बिरयानी
ग्रामीण सेवा की चिक चिक
मेरी याद दिलाती होगी ही…..
वो ठेली का बर्गर
दस वाली लस्सी
डेढ प्लेट भटूरे
दही भल्ले और पापड़ी
मेरी याद दिलाती होगी ही……..
बारिश की बुंदे
सुहाना सा मौसम
पन्ने की लिखावट
वर्षो बाद भी
राजधानी दिल्ली
मेरी याद दिलाती होगी ही …..
✍? Karishma Chaurasia