मेरे यादों के शहर में।
मेरे यादों के शहर में सिर्फ उसका ही बसर है,,
मोहब्बत के बदले मोहब्बत न मिली, हमारी मोहब्बत में बस यही कसर है।।
की बारिशें वो इश्क़ वाली अब होती ही नहीं हैं,
देखो सूखा पड़ा मेरी वफ़ाओं का शजर है।।
तारें तो बहुत टूट जातें हैं मेरी ख़्वाहिश में,,
मगर मेरी निगाह में उस आसमां का क़मर है।।
तड़प उठता था जो मेरी पलकों में नमी देखकर,
देखो न अब कहाँ उसको मेरे दर्द की फ़िक़ है।
ग़म- ए – रुस्वाई लिए आँखों से गिरतें हैं मोती,,
ऐ दिल संभल जा यह शब- ए – हिज्र है।।
मेरे यादों के शहर में सिर्फ़ उसका ही बसर है,
मोहब्बत के बदले मोहब्बत न मिली, हमारी मोहब्बत में बस यही कसर है।।