मेरी माशुका की बेटी
समय कहता है
मेरा वतन मेरी असल माशुका है
और मेरी माशुका की बेटी
जो असल मे मेरी बहन है
उसे जन्म लेने दो ।
छु लेने दो तनिक
उसे भी आसमा खुला ।
ना जकड़ो उसे
तुग़लकि फरमान मे ।
ना उसके सपनों पर फेंको तेज़ाब
ना ही आधुनिकता के नाम पर तुलसी आँगन और संध्या वंदन से करो महरूम ।
जान लो उस के वजूद को
समझ लो उसके आज कल और भविष्य को ।