मेरी माला
मेरी यादों मे आती एक सुंदर बाला ।
भादौ की रात का वह बरसाती नाला ।।
उस दिन न आयी वो पहन के माला ।
करता रहा इंतजार होने तक उजाला ।।
समय बढता चला छूट गई शाला ।
जिंदगी बन गई रिश्तो का झमेला ।।
सुबह जाता हूं देखने रोज गेहूं की बाला ।
रात को थककर घूमा करता हूं मधुशाला ।।
सफर में एक दिन मिली मेरी वो माला ।
दो नन्हे मुन्नो के साथ पहन के सूट काला ।।
मैने पूछा पास आकर कैसी हो माला ।
कहने लगी कुम्हला गयी तुम्हारी माला ।।
बातो ही बातो में बतायी उसने जिंदगी की पाठशाला ।
भुलाये भूली नही जाती वो साथ पढने पढाने वाली पाठशाला ।।
।।।।जेपीएल।।।