मेरी मां
बड़ी अच्छी मेरी मां,
हमको लाड प्यार से रखती मां।
खुद गीले में सोती मां,
हमको सूखे मैं सुलाती मां।
खुद भूखा रहकर मां,
हमको भोजन कराती मां
साफ कपड़े पहनाकर मां।
पढ़ने शाला पहुंचाती मां,
हमको खेल-खेल में मां,
संसार का ज्ञान सिखाती मां।
जब हम मां को परेशान करते,
लाड प्यार से समझाती मां।
वसुंधरा है जग में मां,
बुढ़ापे में भी आशीष देती।
ऐसा आशीष दे दीजिए मां,
सदा तेरी सेवा करते मां।
तुझसे बढ़कर कोई नहीं जग में मां,
सुख-दुख की है मां।
नारायण अहिरवार
ं। अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
मध्य प्रदेश