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14 Nov 2018 · 1 min read

मेरी मां

आज हम आ गए हैं कितना दूर
हर पल तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी याद के सहारे मैं यहां हूं
तुम्हारी कसम ने रोक रखे हैं मेरे पांव
नहीं तो मैं कब का तुझसे मिलने आ गया होता
मां… सोचता हूं मैं, क्यों आ गया तुझसे इतना दूर
मैं तुझको देख ना पाऊं, मिल ना पाऊं
मां मेरे भविष्य के कारण तुमने लिया इतना बड़ा फैसला
और अपने जिगर के टुकड़े को
भेज दिया दूर… तलाशने अपनी मंजिल
मां… मुझे तुम्हारी कमी हमेशा महसूस होती है
हर जगह तुम्हारी जरूरत आन पड़ती है
सोचता हूं कभी जब आ जाऊं मैं तेरे पास
कदम रुक जाते हैं यह सोच कि क्या कहूंगा मैं तुझसे
आ गया तेरा लाल जंग हारकर
अब मां तुम्हारी यादों को ही
अपने दिल में बसा कर आगे बढ़ना है
जीतकर सारे जहां को तुम्हारे कदमों में रखना है

(पूर्णतया स्वरचित, मौलिक, एवं अप्रकाशित)
नवनीत कुमार सिंह
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

13 Likes · 42 Comments · 1179 Views
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