मेरी मां
मां शब्द कितना प्यारा सा एहसास है
उसके होने से हर दिन खास है
कितना प्यारा है ये सफर क्युकी इस सफर में मां साथ है ।
घर का काम हो या बाहर का मेरी मां हर चीज में आवल नंबरों से पास है।
कभी घर से बाहर रहो तो वो कभी ये नही पूछेगी की तूने कितना कमाया और कितना पैसा तेरे पास है ,
यही चिंता होगी उसे की जो खाना तू खा रही है उसमे क्या घर केसे स्वाद है ।
कभी गुस्सा हो जाओ ना मां से तो लगता है आज का दिन ही बकवास है ।
क्युकी आज मेरी वजह से बिचारी मेरी मां का चेहरा उदास है ।
मेरी मां के लिए जान भी मेरी कुर्बान है ।
क्युकी उसी से मेरी पहचान है ।
– Prachi Verma