मेरी माँ
मेरी माँ
तेरी ममता की आँचल में
ना जाने कब मैं बड़ा हुआ
तेरी अंगुली थाम कर
ना जाने कब मैं खड़ा हुआ
मेरी हर गलतियों को करके माफ
माँ ,तूने मुझे सिर्फ प्यार किया
मेरी हर जिद्द को तूने स्वीकार किया
ना जाने मेरे लिए तूने
क्या-क्या कुर्बान किया
मेरे हर खुशी में,खुश हो जाती तू
मेरे हर दुख में,आँसु बहाती तू
ना जाने कैसा है,ये प्यार तेरा मुझसे
मेरी हर बात समझ जाती
मेरे कहने से पहले
मैं दुआ करता हूँ
हर किसी को माँ का प्यार मिले
मेरे हर जन्म में,तू ही मेरी माँ मिले |
© पियुष राज ‘पारस’
दुमका ,झारखंड