मेरी माँ
माँ से दूर रहकर भी
मेरी प्यारी माँ को हर पल
अपने साथ महसूस करके
माँ के आंचल को
माँ के हाथ के भोजन को
पिता की डांट पर माँ के दुलार को
जीवन के हर उस लम्हे में माँ के साथ को
हर जगह हर उस गली हर मोड़ को
जीवन धूप और छाँव को
जहाँ पर ये बचपन,ये जीवन
यहाँ तक की हमारा अस्तित्व
झुलसने लगता
हम लाचार कमजोर और
बेबस से लगने लगते
एक आवाज एक हाथों का स्पर्श
एक साथ हमेशा मिल जाया करता है
और अचानक ही
सब कुछ बदल जाया करता है
वो ही माँ का आशीर्वाद है
वो ही माँ का निश्छल प्यार है
हाँ सिर्फ वही एक निश्छल प्यार है।
माँ से दूर रहने पर मुझे जब माँ की याद आती है,
और तब हर कदम में माँ हमेशा मेरे साथ रहती है।
मैं छोड़ आता हूं ,उसे अक्सर अंजान पथ पर,
कभी भूल जाता हूं उसे ज़िन्दगी के सुनसान दर पर,
पर थक के बैठु जब कभी मैं राह पर
पास अपने माँ का आँचल सदैव पाता हूं,
पास अपने पिता के सलाह सदैव पता हूं,
फिर नए उत्साह से मंजिल की ओर चल देता हूं,
लक्ष्य मिलता है हमेशा माँ पिता के आशीर्वाद से।
है समर्पित जीवन मेरा माँ पिता के पाँव में,
बीते जीवन मेरा इन्ही के आशीष की छाँव में ।
माता पिता के चरणों मे समर्पित