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5 Nov 2018 · 1 min read

मेरी माँ

मेरी माँ
————-
जन्मते ही
मिला था जो
तेरी बाँहों का घेरा
आलिंगन और स्पर्श
रच दिया था उसने
एक सुरक्षा कवच
मेरे चारों ओर
निश्चिन्त थी मैं
जिसमें तेरे साथ रह कर,
जब से
छिनी है गोद
टूटा है
तेरी बाँहों का घेरा
खो गया है मेरा
सुरक्षा कवच
तब से
काँटों की चुभन में
कितने लहुलुहान हुए मेरे पाँव
किसी को नहीं पता
मेरी माँ!
———————————
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखंड

4 Likes · 23 Comments · 517 Views
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