मेरी माँ जैसी कोई नहीं
मेरी माँ जैसी कोई नहीं
नारियल जैसी सख्त भी है
और कोमल भी
हृदय में है प्रेम भरा
ममतामयी है उनका आंचल
मन दुआओं का प्यारा सा मंदिर
त्याग की मूरत..सुख दुख की साथी
कोई भी कष्ट हो..माँ की याद आ जाती है
मेरी माँ जैसी कोई नहीं
मैं अपनी माँ की परछाई
मज़बूत इरादे..निश्चल मन
कर्मठता और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
ज़िन्दगी के तूफ़ानों से लड़ना
मैंने उन्हीं से सीखा है
हिम्मत ना हारो..बस बढ़ते जाओ
ये मेरी माँ की सीखें हैं
दयाभाव हो या सेवाभाव
बस भावनाओं की मूरत है
मेरी माँ जैसी कोई नहीं
डाँट में भी उनकी प्यार झलकता
अब भी दिल गलत करने से डरता है
उनके आंचल में अब भी
मन बच्चा सा लगता है
बूढी हो चली मेरा माँ अब
ये दिल खोने से डरता है
मेरी माँ खुश रहे..स्वस्थ रहे..दीर्घायु हो
बस हरपल पूजा करता है
मेरी माँ के बिना ये, जीवन निरर्थक लगता है
मेरी माँ जैसी कोई नहीं..©® अनुजा कौशिक