मेरी माँ और ज़िंदगी
कुछ अरसे से ये हमें जानती नही
ऐ ज़िंदगी कुछ तो मेरी माँ से सीख, देखते- देखते मुझे हारती नहीं,
अब नहीं रखती हो खैर- खबर तुम मेरी
ऐ ज़िंदगी तुम मेरी माँ की तरहा रिश्ता निभाना, क्यों नहीं जानती,
जब भी मिलती है मेरी माँ मुझ से हँस के मिलती हैं
ऐ ज़िंदगी एक तुम हो जो कह देती हो, मैं तुम्हे जानती नही
किसी दिन मिलकर तो देखो मेरी माँ से
ऐ ज़िंदगी फिर कभी नहीं कहोगी मैं तुम्हें जानती नहीं!! ❣
? Write by RaAj ✍️ love yOu mAmmA