कविता : ?? आँखों के रास्ते??
आँखों के रास्ते गुज़र गया कोई अपना बनके।
नसीहत प्यार की दे गया कोई सपना बनके।
रिश्तों की धूप में लिखे हमने नग़में बहुत,
नग़मों का अलग एहसास दे गया कोई नग़मा बनके।
इस घर से उस घर तक रोशन चिराग़ हो गए।
जो थे प्याले बेबसी के टूटकर वो राग हो गए।
कहावतें न होकर मनोरंज़न की अल्फाज़ उनके,
हमारे लबों तक आकर ज़िंदगी का साज़ हो गए।
शायद इसी मोड़ पर आना था उन्हें साथी बनकर।
जलना था मेरे दिल में इश्क़ की बाती बनकर।
कहते हैं जवानी की कहानी जो थी कभी अधूरी,
आज पूरी हो गई वो उनका मुलाक़ाती बनकर।
आँसू से मुक़ाम तक प्यार की दिलक़श हसीं शाम तक।
धूप-सी चिलकती ज़िंदगी के इस एहतराम तक।
सुना दिल की”प्रीतम”कहाँ खोया था अब तक।
आज दी है दिल ने दिल के बंद दरवाज़े पर दस्तक़
………….राधेयश्याम बंगालिया
…………….प्रीतम