मेरी भाषा
।।मेरी भाषा।।
मेरी बोली मेरी पहचान है, क्योकि ये अंनत ओर अपार है।
साहित्य से भरा इसका भंडार है, रस छन्दों ने किया इसका श्रृंगार है।
गद्य और पद्य में समाई, देशी विदेशी सभी शब्दो को अपनाई है, रस अलंकारों से सजकर सबके ह्रदय में समाई है।
हर एक शब्द इसका अनमोल हैं, ये भावो की अभिव्यक्ति है नैतिकता से परिपूर्ण,हमारी भाषा हमारी शक्ति है।
– रुचि शर्मा