मेरी भावना
चाँद-तारों सी चमकी मेरी भावना।
आपको पा के बहकी मेरी भावना।।
दिल के पन्ने पे इक नाम रोशन हुआ,
फिर गुलाबों सी महकी मेरी भावना।
माँ के हाथों की रोटी जो याद आ गयी,
आज पलकों पे छलकी मेरी भावना।
देख लो तुम कभी कृष्न बनकर इसे,
है ये माखन की मटकी मेरी भावना।
मीत बचपन का जो मिल गया दफ़अतन,
है ‘असीम’ आज चहकी मेरी भावना।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’