मेरी बेस्ट फ्रेंड्स…
मेरे बड़े से मैदान की
लम्बी और चौड़ी चारदीवारी के अंदर
हर सुबह वो जरूर आती हैं
गुनगुनाती हैं, चहचहाती हैं
और…
अपनी आवाज में मुझे बुलाती हैं
माँ के डाले हुए चावल के दानों को
बड़े चाव से खाती हैं
मेरे पास जाने पर वो
बड़ी तेजी से उड़ जाती हैं
शायद ये इनका एक अलग अंदाज है
और ये इस अंदाज में मुझे चिढ़ाती हैं
इनका ये अंदाज मुझे बहुत भाया
एक दिन, मेरे दिमाग में एक आईडिया आया
मैंने ब्रेकफास्ट के टाइम पर
अपने कमरे की खिड़की खोली
और उनसे बोली
ब्रेकफास्ट शेयर करना है
या यूँ ही भूखों मरना है
पेशकश हमारी थी
और अब उनकी बारी थी
खैर…
थोड़ी ना-नुकुर के बाद
उन्हें मुझ पर भरोसा आया
और उन्होंने मेरा ब्रेकफास्ट खाया
पर मेरे साथ मेरी प्लेट में नही
मेरे द्वारा नमकीन के टुकड़े दूर फेंकने पर
मैंने इशारे से पूछने पर कि कैसा है?
उधर से कोई जवाब नहीं आया
मुझे उन ओर गुस्सा तो बहुत आता है
मेरी फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ही नहीं करतीं वो
यार, ऐसे भी कोई नखरे दिखाता है
लेकिन, आई डोंट माइंड…
मुझे पता है कि
एक दिन तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाएगा
तुम सब मेरे साथ खाओगी
अपनी लैंग्वेज में अपनी दुनिया की
सारी बातें मुझे बताओगी
है ना!
और तब तुम सब मेरी बेस्ट फ्रेंड्स बन जाओगी।
# save the world of birds.