मेरी बहना
तेरे प्रेम और स्नेह ने मुझे
जीवन नया दिया है
अस्तित्व मेरा बहना
शेष ही कहाँ था ।
नतमस्तक हूं सेवा जो
मिली है मुझको तुझसे
वरना बस में मेरी बहना
कुछ भी तो नही था।
गुजारिश है भगवन
सबको मिले ऐसी बहना
वजूद भाई का वरना
कुछ भी नही है रहना।
इस प्यार का कोई भी
क्या मोल कभी कर पाएगा
है बेशकीमती ये बंधन
जीवन सफल हो जाएगा।
जीवन खुशियों से हरदम
भरा रहे मेरी बहना
परछाइयाँ ग़मों की
कभी छू ना पाए तुझको।
कभी छू न पाए तुझको।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
२१.०४.२०२१