मेरी प्यास का दरिया
मेरी प्यास का दरिया
सूखता ही नहीं
आसमान बरसता रहता है
और यह लबालब
गले तक भरता रहता है
सावन सूख भी जाये
पर यह नहीं सूखता है
बादल न भी बरसें
पर यह नहीं रूठता है
धरती की मिट्टी भी
चटक जाये
पर यह नहीं भटकता है
हरियाली भी इससे
मुंह मोड़ ले पर
यह विचलित या क्रोधित कदापि नहीं होता है
तन खाली हो तो
मन भरा होता है
तृप्त होता है
यह किनारों को कभी
एक सूखे मरुस्थल सा
दिखे तो
यह उनके दिलों में पलता
भ्रम है
उसकी बाहरी परत हटा दो
तो वह भीतर की
सम्पूर्ण परतों में
जलमय
दरिया के हिलोर के शोर सा
मग्न
जल की लहरों की
तरंगों संग
तरता ही दिखता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001