* मेरी प्यारी माँ*
माँ मेरी प्यारी
अपनों के लिए अक्सर अपना
ही ख्याल रखना भूल जाती है
कितना ही जतन क़र लूँ
उनका कर्ज अदा ना क़र पाऊंगी
मैं उनके हर त्याग,
बलिदान की भरपायी किस तरह क़र पाऊंगी
वो दुलार है ममता का अंबार है
लाख चाहूँ उनकी परछाई भी बनना
फिर भी हार जाऊंगी
किस तरह उनकी मोहब्बत को शब्दो में पिरो पाऊंगी
मातृव की इस गहराई को मैं कभी ना भूल पाऊंगी❤️❤️