मेरी पावन मधुशाला
डॉ0 रामबली मिश्र कृत मेरी पावन मधुशाला
साधारण जीवन जीने की,शिक्षा देता है प्याला;
दुखियों की रक्षा करने का, आग्रह करती है हाला;
सभी प्राणियों के भीतर है,रचा-बसा मेरा साकी;
विश्व!तुम्हारा अभिनंदन,करती है मेरी मधुशाला।
जिस भारत की संस्कृति में है,करुण भावना की हालत;
जिस भारत के दर्शन में है,सुन्दर-सुखद-शांत प्याला;
जिस भारत के चिंतन में है,परम विराट पुरुष साकी;
उस भारत के कण-कण में है,मेरी पावन मधुशाला।
रचनाकार:डॉ0 रामबली मिश्र,हरिहरपुर ,वाराणसी -221405