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31 Jul 2024 · 1 min read

मेरी पावन मधुशाला

मेरी पावन मधुशाला

हे मधुशाला के आँसू तू,बन जा आज सुधा हाला;
टपक- टपक कर बूँद-बूँद से भरते जा सबका प्याला;
साकी बनकर दीन-हीन की,खोज-खबर लेते रहना;
घोर निराशा की दुनिया की,बन जा पावन मधुशाला।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी-221405

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