Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2021 · 1 min read

मेरी पहली कविता की प्रथम चार पंक्तियाँ – संस्मरण

मेरी पहली कविता की प्रथम चार पंक्तियाँ – संस्मरण
बात 2005 के मई माह की है शायद कल से हमारा ग्रीष्म अवकाश आरम्भ होना था | मैंने अपने पुस्तकालय में बैठे –

बैठे यूं ही ” सत्य ” विषय पर चार पंक्तिया लिखीं | इसी बीच हमारे ही विद्यालय के प्राथमिक शिक्षक श्री लालजी कोल

का पुस्तकालय में आगमन हुआ जिनका हिंदी भाषा का ज्ञान काफी अच्छा है | मैंने अपनी इस पहली रचना ” सत्य”

की चार पंक्तियाँ उन्हें दिखायीं | वे उन पंक्तियों को पढ़कर बहुत ही प्रभावित हुए और कहा ” बहुत ही सुन्दर गुप्ता

जी इसे आप पूरा कीजिये और आगे भी इसी तरह से लिखते रहिये ” |

उनके द्वारा कहे गए शब्दों को सुनकर मैंने स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया और अनवरत लिखते

रहने की प्रेरणा ने मेरे भीतर ऊर्जा का संचार कर दिया | आज मुझे लिखते हुए करीब 17 वर्ष हो गए हैं | अभी तक

मैंने करीब 1200 कवितायें, गीत ग़ज़ल , भजन , शायरी , विचार और लेख ब्लॉग के माध्यम से प्रकाशित किये हैं |

जिनके माध्यम से मुझे अपार स्नेह की प्राप्ति हुई है | मैं श्री लालजी कोल जी का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे प्रेरित किया |

Language: Hindi
4 Likes · 8 Comments · 617 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
विचारों में मतभेद
विचारों में मतभेद
Dr fauzia Naseem shad
बेटियाँ
बेटियाँ
लक्ष्मी सिंह
नाज़ुक सा दिल मेरा नाज़ुकी चाहता है
नाज़ुक सा दिल मेरा नाज़ुकी चाहता है
ruby kumari
हँस लो! आज  दर-ब-दर हैं
हँस लो! आज दर-ब-दर हैं
दुष्यन्त 'बाबा'
आदमी और मच्छर
आदमी और मच्छर
Kanchan Khanna
इक तेरा ही हक है।
इक तेरा ही हक है।
Taj Mohammad
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
कवि दीपक बवेजा
NSUI कोंडागांव जिला अध्यक्ष शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana
NSUI कोंडागांव जिला अध्यक्ष शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana
Bramhastra sahityapedia
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )
आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )
goutam shaw
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
*अगर आपको चिंता दूर करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है कि लो
*अगर आपको चिंता दूर करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है कि लो
Shashi kala vyas
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
Rituraj shivem verma
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
■ चहेतावादी चयनकर्ता।
■ चहेतावादी चयनकर्ता।
*Author प्रणय प्रभात*
आँखों से काजल चुरा,
आँखों से काजल चुरा,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दाना
दाना
Satish Srijan
नया मानव को होता दिख रहा है कुछ न कुछ हर दिन।
नया मानव को होता दिख रहा है कुछ न कुछ हर दिन।
सत्य कुमार प्रेमी
आत्मा शरीर और मन
आत्मा शरीर और मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
छैल छबीली
छैल छबीली
Mahesh Tiwari 'Ayan'
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
पूर्वार्थ
आकाश के नीचे
आकाश के नीचे
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
Awadhesh Kumar Singh
कैसे अम्बर तक जाओगे
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
*बुढ़ापे का असर है यह, बिना जो बात अड़ते हो 【 हिंदी गजल/गीतिक
*बुढ़ापे का असर है यह, बिना जो बात अड़ते हो 【 हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
कितना भी दे  ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
Dr Archana Gupta
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
Kshma Urmila
2731.*पूर्णिका*
2731.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" अब मिलने की कोई आस न रही "
Aarti sirsat
Loading...