मेरी पहचान
एक इतर की तरह
जो सांसों मैंघलु जाये
वो साज़ हूँ मैं।
किसी कोयल की आवाज़ की तरह
जो मन मेबस जाये
वो आवाज़ हूँ मैं।
जसै मखमल की चादर
तन को आराम देती है
वो चनै हूँ मैं।
बिल्ली का उलझा हुआ
ऊन का गोला नही
सरल मनमोहक
बांसरुी की धनु हूँ मैं।
तिल्लेवाली कुल्फी की
ठंडक हूँ मैं
बर्फ के गोले की
चस्की हूँ मैं।
सर्दी की रजाई की
गर्माहट हूँ मैं
अपने अन्दर जो समेट ले
वो एहसास हूँ मैं।
खदु को पहचानती हूँ मैं
इस ज़माने से ज़्यादा
ज़माने से परे
एक ख़्वाब हूँ मैं।