मेरी निगाहे
देख रही मेरी निगाहे,
सूनी पड़ी कब से राहे,
बीत गए कितने बरस,
दिखा भी दो अब दरस,
बहुत रोती हैं आँखे हमारी,
मुझे याद आती हैं तुम्हारी,
वो उछल कूद और बचपना,
डाली डाली अपना वो कूदना,
कितना पावन था वो रिश्ता,
अब भूल गए हमारा रास्ता,
जीवन पथ हैं बड़ा विशाल,
कैसे रहे हम अब खुशहाल,
वो वादें और वो अपना विवाद,
मित्रता का वह मधुर संवाद,
चल चल कर थक गया,
यह जग अब टूट गया,
।।।जेपीएल।।।