‘मेरी नन्ही सी गुड़िया’
जमीं पे चलते चलते किसी दिन
आसमां के सीने पे तू पांव रख देना
मेरे ख़्वाबीदा आँखों के पानी से
अपने कहकशां के दिलक़श रवानी से
ये रौशनी का है गांव तू लिख देना
‘मेरी नन्ही सी गुड़िया’ इस गांव में
‘सब हैं बराबर’ तितलियाँ के रंगीन पंखों से
के रंगों से तू ये भी खिल खिला लिख देना …
…सिद्धार्थ