मेरी नजर में धर्म
मेरी नजर में —–
क्या है धर्म ?
किसी ने मुझसे बोला
मैंने भी ……
खुद को टटेला
पूजा ?
पाठ ?
खड़ताल बजाना ?
नहीं…..मेरा मन बोला
तो फिर……
कुछ समझ न आया।
मैं तो बस
इतना जानती हुं
मैं एक बेटी हूं,
बहन हू,
एक पत्नि हूं
माँ हूं और……
इन सबसे बढ़ कर
हूं एक नारी
जो होती है प्रतिरूप—
ममता का।
रिश्ते नाते सब….
होते हैं टिके
प्रेम, ममता,स्नेह
और कर्त्तव्यों पर
स्थिर खड़े।
किसी के लिये
धर्म कुछ भी हो
मेरे लिए तो……
प्रेम है, ममता है, स्नेह है
कर्त्तव्य है धर्म।
—राजश्री—-
23–7–2015