“मेरी नई पहचान” (संक्षिप्त कहानी)
मेरी लेखनी, बनी जीवन-संगिनी । जीवन में कुछ कठिन पल भी आए, तब ऐसा लगा मानो लेखनी रूठ गई हो,जैसे ही हुई लेखनी से पुनः मुलाकात, मुझे मिली नई सौगात के साथ आत्मविश्वास-रूपी संजीवनी ।
मेरा हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में पुनः शुरू हुआ लेखन एक नई प्रेरणा लिए, फिर फेसबुक पर शेयर किए मेरे ब्लॉग और 100 शब्दों की विजयी कहानियों के हुए लाइवशो, इस उत्तरोत्तर-प्रगति के साथ अन्य मंचों पर भी बनी एक पहचान ।
कल ही एक परिचित ने शुभकामनाएं देते हुए कहा, आप सार्थक लेखन करती हैं, मिली लेखिका रूप में मेरी नई पहचान।