मेरी दोस्ती मेरा प्यार
मित्र वह चित्र हैं,जिसके रंग विचित्र हैं,मित्र वह इत्र हैं,
जिसकी खुशबू पवित्र हैं,मित्र वह पात्र हैं,जिसमें प्रेम एकत्र हैं,मित्र वह यंत्र हैं, जिसकी खुशियां निमंत्र हैं, सच्चा मित्र मित्र ही नहीं मातृ कभी तो कभी पितृ हैं!
मित्र वह चित्र हैं,जिसके रंग विचित्र हैं,मित्र वह इत्र हैं,
जिसकी खुशबू पवित्र हैं,मित्र वह पात्र हैं,जिसमें प्रेम एकत्र हैं,मित्र वह यंत्र हैं, जिसकी खुशियां निमंत्र हैं, सच्चा मित्र मित्र ही नहीं मातृ कभी तो कभी पितृ हैं!