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20 Oct 2021 · 1 min read

मेरी जीवन व्यवस्था

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प्रारंभ पढ़ाई-लिखाई से नहीं
कमाई से, होता है जीवन।
वह दसवें वर्ष में
इसलिए जवान हो गया।
और मैं तिसवे वर्ष में इसलिए।
शिक्षा का उजाला मुझे इतने दिनों तक
रखे रखा अंधकार में।
हालाँकि उसे अशिक्षा का श्राप रखे रहेगा
तमाम उम्र अंधकार में।
आवश्यक क्यों है समाजशास्त्र?
अर्थशास्त्र जीने के लिए नाकाफी तो नहीं है।
‘जियो’ मतलब गणित और
‘जीने दो’ मतलब सांस्कृतिक व्यवस्था।
अंधेरे से उजाले तक आने का अर्थ
मछलियों का तल से सतह तक आना।
समझ में नहीं आया।
उजाले से ऊंचाई तक उठने का अर्थ
मुझे भ्रम ही साबित हुआ।
प्रयास में श्रम नहीं।
धूर्तता दिनभर,
पसीने से तर-बतर।
सफलता का मापदण्ड अंतत:
दो मुट्ठी अन्न है।
तुम्हारी हाड़-तोड़ मजदूरी
या हो भ्रष्टाचार जरूरी।
जन्म के बाद
नहीं मिलता परमेश्वर का सान्निध्य।
न संतुष्ट हो जाने का आधिक्य।
शरीर अन्न का ही पर्याय है
ईश्वर का नहीं।

जन्म अधिकांशत: तय करता है
कल के जीवन की व्यवस्था।
कितनी धूर्तता मिली है प्रारंभिक काल में
मायने रखता है
हर हाल में।
————————————

Language: Hindi
221 Views
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