मेरी जाने तमन्ना
मेरी जाने तमन्ना
मेरी जाने तमन्ना
तजमहल जैसी कोई ख्वाईश मत रख मुझसे
क्योंकि , मै इसे पुरा नही कर पाउंगा
ये मै भी जानता हुं , तु भी
हॉ तुम चाहो तो एक घर बना सकता हुं
तुम्हारे लिए जिसमें
मोहब्बत कि बुनियाद होगी
यकिन कि मजबुत ईटें लगाकर
वादों का सिमेंट लगाकर
चार दीवारी बनाएंगे खुशियों कि
और छत बन जाएंगी सारी उम्मीदें
घर को सुनहरे मुश्तकबिल के सपनों से सजा कर
चिरागों को दहलीज पर रोशन करके
नए जीवन का आगाज करें
और अपनी मोहब्बत को मुकम्मल कर दें
जो पाकिजा मोहब्बत
अक्सर नसीब नही होती महलवालों को भी
मेरी जाने तमन्ना