मेरी ज़िन्दगी जाया ना करो
आते ही तुम्हारे बदल
जाते ये नज़ारे,
जाते भी तुम्हारे बदल
जाते ये नज़ारे|
आ-जाकर इस तरह वक़्त ज़ाया न करो,
आकर मेरी ज़िन्दगी फिर जाया ना करो|
आते हो तो पतझड़ में भी
रंग भर जाते हैं,
सुगंधी कलि से भ्रमर
फिर मिल जाते हैं|
आ-जाकर इस तरह वक़्त ज़ाया न करो,
आकर मेरी ज़िन्दगी फिर जाया ना करो|
आने से तुम्हारे उपवन
उर खिल जाते हैं,
जाते ही तुम्हारे फ़ीके
रंग पड़ जाते हैं|
आ-जाकर इस तरह वक़्त ज़ाया न करो,
आकर मेरी ज़िन्दगी फिर जाया ना करो|
चाँद-चकोर, पावस में
पपीहा टके व टेरे ,
‘मयंक’ हृदय-आँगन में
देखे सांझ-सबेरे|
आ-जाकर इस तरह वक़्त ज़ाया न करो,
आकर मेरी ज़िन्दगी फिर जाया ना करो|
✍के.आर.परमाल ‘मयंक’