मेरी छोटी सी अभिलाषा
जिंदगी की तो सारी अभिलाषा, मैं पूरी कर जाऊंगी।
डरती हूं बस मौत के बाद, मैं ये कैसे पूरी कर पाऊंगी।
याद रखना ये अभिलाषा मेरी, सबको सुषमा बता देना।
जब लगे उठने जनाजा मेरा, बस सफेद कफ़न ओढ़ा देना।।
:-चाह नही रंगीनी में लिपट, मैं बनकर जाऊं फुलझड़ी,
स्मरण रहता है ये हर पल, कि मौत मेरे आगे खड़ी।
चलते फिरते उठते बैठते, जाने कब आ जाये वो घड़ी,
ना चाह मलिक की बहुत बड़ी, ये इस जिद पर है अड़ी।
हुई मलिक की अभिलाषा पूरी, बस इतना तुम जता देना।
जब लगे उठने जनाजा मेरा, बस सफेद कफ़न ओढ़ा देना।।
:-बिछा सफेद ओढ़ा सफेद, सफेद में लिपटी मेरी काया,
मांगा है बस दो गज वसन,ना मांगी है मैंने कोई माया।
मुझे ओढ़ाने को देखो हर कोई कफ़न साथ है लाया,
कोई लाल कोई हरा तो कोई पीला है लेकर आया।
आने वाला हर साथी बस, इतना सा खजाना लुटा देना।
जब लगे उठने जनाजा मलिक का, सफेद कफ़न ओढ़ा देना।।
सुषमा मलिक