मेरी गलियों से उसका गुजरना
मेरी गलियों से रोज गुजरा करती थी वो
उसकी तन की भीनी खुसबू से पहचान लिया करता था ।।
आज भी गुजरी वो, पहचान ना सका
अपनी आंचल के साथ उस खुशबू को समेटे विदा हो चली गईं ।।।
देवेन्द्र कुमार नयन { Devendra Kumar Nayan }
लेखक
मेरी गलियों से रोज गुजरा करती थी वो
उसकी तन की भीनी खुसबू से पहचान लिया करता था ।।
आज भी गुजरी वो, पहचान ना सका
अपनी आंचल के साथ उस खुशबू को समेटे विदा हो चली गईं ।।।
देवेन्द्र कुमार नयन { Devendra Kumar Nayan }
लेखक