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25 Jan 2022 · 1 min read

मेरी गलियों से उसका गुजरना

मेरी गलियों से रोज गुजरा करती थी वो
उसकी तन की भीनी खुसबू से पहचान लिया करता था ।।

आज भी गुजरी वो, पहचान ना सका
अपनी आंचल के साथ उस खुशबू को समेटे विदा हो चली गईं ।।।

देवेन्द्र कुमार नयन { Devendra Kumar Nayan }
लेखक

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