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14 Jul 2018 · 1 min read

मेरी ख्वाहिश

मैं कभी नहीं चाहूंगा
कि सत्य की सूखी टहनियों से लटक
तुम अपनी जान दे दो
कि नैतिकता का फीका शर्बत पी
तुम अपने जीवन को बेस्वाद बना लो
कि जब नापाक आततायी तुम्हें घेर कर मारें
तुम्हारे पास फल काटॅने वाला चाकू भी न हो

कभी नहीं चाहूंगा यह कहना
कि बगैर किसी ठोस आधार के हवा में
तुम आसमान छूने की सीढियां बना लो
बगैर खाद पानी के
तुम्हारी बुनियाद मजबूत हो
कि भूखे पेट तुम राष्ट्र के गीत गाए जाओ

मैं चाहता हूँ
तुम सत्य को जानो
एक बच्चे की तरह सत्य की परवरिश करो
कि वह बढे और वटवृक्ष बन जाये
तुम्हारी बुनियाद मजबूत हो
नये परिवर्तन को स्वीकारने का साहस हो
समय को पहचान सको
कि लोग आस्तीन में खंजर छिपाते है
और मुस्कराहट के पीछे
नफरत छिपी रहती है .

Language: Hindi
536 Views
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