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5 Aug 2021 · 1 min read

मेरी खुशनसीबी

चाहत नहीं अब किसी से सिर्फ अपनी तन्हाइयों के साथ रहता हूं

छोड़ चुका हूं अब सब, अब सिर्फ एक कोने में ही रहता हूं

मनुष्य आता है तो खुशियां देता है ,
और जाता है दुख दे जाता है….

मगर मैं वह खुशनसीब हूं…

जिसके दोनों वक्तो से,
खुशी मिली भी है और मिलेगी भी…

और मुझे क्या चाहिए चाहने वालों तुमसे,
मुझे कनागत भी तुमने जीते जी खिला दिया है …

यह मेरी खुशनसीबी ही है,

जो लोगों को मरने के बाद मिलती है ,
मुझे वह जीते जी मिल रही है

उमेंद्र कुमार

Language: Hindi
1 Like · 437 Views
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