मेरी खुदाई
तेरे बगैर मेरा गुजारा नहीं हो पाएगा,
मैं आशिक हूँ तेरा कोई बहाना नहीं हो पाएगा ।।
तू ही मेरी साँसे और दिल की धड़कन है,
तुझे खोकर मेरा जीना नहीं हो पाएगा ।।
ये सारा जहाँ छोड़कर मैंने तुझको पाया है,
तुझे छोड़कर अब ये जहाँ मेरा नहीं हो पाएगा ।।
फूल में बंद खुशबू की तरह मैंने तुझे खुद में उतारा है,
मरकर भी अब मेरा इस इत्र से छुटकारा नहीं हो पाएगा ।।
तुझे कहदूं कि तू खुदा हो गयी है मेरी जिंदगी की,
मैं झूठा नहीं अब और कोई खुदा मेरा नहीं हो पाएगा ।।
तेरी याद में रो दूँ तो ये समंदर भी तालाब गड्ढे हो जाएं,
अब इस जहाँ में मेरे दिल के अश्कों का कोई किनारा नहीं हो पाएगा ।।
मेरा वादा मिटता नहीं इस फिजा में बंद है सूरज की रोशनी बनकर,
जब कभी अंधेरा घेर ले तुझको तो हर शब्द, तेरा रहगुजर हो पाएगा ।।
prAstya……(प्रशांत सोलंकी)