मेरी कुटिया में प्रभु श्रीराम आ जाते तो अच्छा था।
गज़ल
1222……1222…….1222……1222
मेरी कुटिया में प्रभु श्रीराम आ जाते तो अच्छा था।
कि दर्शन दे मेरा उद्धार कर देते तो अच्छा था।
उन्हीं के वास्ते मैं रोज चुन चुन बेर लाती हूँ,
उन्हें इस दीन के हाथों से चख जाते तो अच्छा था।
उतारा पार बदले में ये उतराई न लेंगे हम,
मुझे हे नाथ भव से पार कर देते तो अच्छा था।
सफल मेरा हुआ जीवन है प्रभु के काम आये हम,
यही दुख है कि सीता को बचा लेते तो अच्छा था।
किया सुग्रीव से है प्यार मुझसे दुश्मनी है क्यों,
मदद ही चाहिए थी तो बता देते तो अच्छा था।
किया सीता हरण और युद्ध ये सब मुक्ति पाने को,
बिना ये सब किए ही मुक्ति पा लेते तो अच्छा था।
…….✍️ प्रेमी