मेरी कीमत
कभी ख़ुद को कम ना आंकू
है यहां मेरी कीमत अनमोल
जब अंतस में मै अपने झांकू
स्वयं को कमतर जानकर कभी
कार्य को बीच राह में नही छोडूं
हूं मै भी कुशल निपुण सम्बल
जो औरों को उससे है जोडूं
स्वयं को हल्के में मै नही लूं
और नही बडे़ चढे़ बोल बोलूं
मिल जाएं जीवन में मौके ऐसे
कार्य सम्पन्न कर ही चैन से बैठूं
स्वयं पर करना सीखा है भरोसा
अपनी कमजोरियों को समझू़ं
ताकत बना कर आगे बढ़ चलूं
ख़ुद की कीमत का सही अंदाजा
लगा लिया मै आसमां अब उडूं छूं लूं।
– सीमा गुप्ता,अलवर