मेरी कहानी पत्नी की जुबानी (हास्य )
पत्नी ने कहा :
आओ जी मै आपके दाग धो दू
मैने कहा :
मै तो दूध का धुला हूँ
तुम क्या धोओगी ?
वह बोली :
मुँह मेरा मत खुलवाओ
शादी के पहले की
संगीता संध्या से
क्या वास्ता था तुम्हारा
दाग दामन में लग ही गया है
अब एक हो या चार
मैने कहा :
यो तो तुम्हारे भी थे
श्याम और घनश्याम
वो बोली :
अरे नरक में जाओगे
राधा भी तो दिवानी थी
कृष्ण और किसन की
उसी की तो मैं भी थी
श्याम और घनश्याम की
लेकिन तुम्हारी तो थी
संगीता और संध्या
दागलाल
किससे थे नाते
सिवा तुम्हारे
मेरी हो गयी बोलती बंद
मैने कहा :
तुम जीती मै हारा
तुम बेदाग
मै दागदार
अब तो खुश
तुम्हारी खुशी ही
मेरी खुशी है
पत्नी बोली :
बस जी यों ही
हँसते हंसाते कट जाऐ
जिंदगी हमारी
तुम भी बिना दाग के हो
और मैं तो हूँ ही
सती सावित्री
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल