मेरी कविता
चहूँ ओर
सूरज के
घूमें धरती
वैसे ही…
हर रचना का केन्द्र
तुम बन जाते हो !
हर लफ्ज, हर भाव
समर्पित तुमको
जाने – अंजाने
हर वक़्त तुम ही…
मेरी कविता बन जाते हो !
अंजु गुप्ता
चहूँ ओर
सूरज के
घूमें धरती
वैसे ही…
हर रचना का केन्द्र
तुम बन जाते हो !
हर लफ्ज, हर भाव
समर्पित तुमको
जाने – अंजाने
हर वक़्त तुम ही…
मेरी कविता बन जाते हो !
अंजु गुप्ता