मेरी कविता
मेरे स्वप्नों की ऊंची उड़ान भर नभ में सज रही
उमंगो की किरण बिखेर कर क्या जँच रही
देखो पवन सी लहरा हिलोरें ले आ रही
मनमोहनी सी करतल ध्वनि करती आ रही
ह्रदय के कोमल तारों में मधुर तान सी बजती
मस्तिष्क में उठें विचारों को संजोकर रखती
चक्षुओं में चंचलता भरकर रखती
अधरो पर मुस्कान सी बिखेर कर
सहज सुन्दरता भरी इठलाती हुई सी
नव वधु सी सज्जित हो नुपुर ध्वनि करती
द्वार पर दस्तक दे अलबेली अदा
कलम से कागज तक उतर आती मेरी कविता