मेरी कविता मेरी माँ
गुम हो जाते हैं अपने सब,फिर फिर झुठ बोलकर छोड़ देते हैं हाथ हमारा, क्या रखा हैं,जीने में, न आज न कल बस बेबसी हैं,सीने में,आज भी जन्नत हैं,यहीं इसी जगह माँ तेरी गोद में!!
गुम हो जाते हैं अपने सब,फिर फिर झुठ बोलकर छोड़ देते हैं हाथ हमारा, क्या रखा हैं,जीने में, न आज न कल बस बेबसी हैं,सीने में,आज भी जन्नत हैं,यहीं इसी जगह माँ तेरी गोद में!!