मेरी कविता मेरी माँ
माँ आसान नहीं सब मंज़र हैं……
माँ तेरी कमाई जो दौलत हैं…….
माँ तखदिर नहीं तख्शियत हैं……
माँ आसान नहीं सब मंज़र हैं……
माँ हर जर्रे पर अल्फ़ाज़ बिखरें हैं……..
माँ हर अहमियत पर अहम जो लिखें हैं……
माँ आसान नहीं सब मंज़र हैं……
माँ पल-पल इसको खूब खिलाते हैं……
माँ बात में इनको सबक सिखाते हैं……
माँ आसान नहीं सब मंजर हैं…..
माँ ज़िक्र पड़ा तो किसकी सुनी हैं…..
माँ ये तो तेरी ही बदौलत ज़िन्दगी खड़ी हैं…….
माँ आसान नहीं सब मंजर हैं……