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11 Aug 2024 · 1 min read

मेरी कल्पना पटल में

मेरी कल्पना पटल में
इक अंश मात्र सा है
जितना कुछ सोचूं,
जितना कुछ लिखूं,
सदैव बहुत कुछ शेष रह जाता है,
”मां -बाप”
शिव प्रताप लोधी

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