मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
इक अंश मात्र सा है
जितना कुछ सोचूं,
जितना कुछ लिखूं,
सदैव बहुत कुछ शेष रह जाता है,
”मां -बाप”
शिव प्रताप लोधी
मेरी कल्पना पटल में
इक अंश मात्र सा है
जितना कुछ सोचूं,
जितना कुछ लिखूं,
सदैव बहुत कुछ शेष रह जाता है,
”मां -बाप”
शिव प्रताप लोधी