मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
इन्हीं मुस्कानों के बीच अपनी मुस्कान ढूँढता हूँ,
हर रोज़ नई सुबह और नई शाम ढूँढता हूँ ।
जीने के सहारे बहुत होते हैं मगर,
जो दे ज़िन्दगी में मुक़ाम, वहीं अरमान ढूँढता हूँ।