Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

मेरी कलम से ✍️ अटूट सत्य : आत्मा की व्यथा

मेरी कलम से ✍️ अटूट सत्य : आत्मा की व्यथा

जब साँसों की डोर टूट जाती है तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब अपने सपने छूट जाते हैं तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब देह जमीं पर रखी जाती है तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब अंतिम शैया सजाई जाती है तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब कंधों पर श्मशान ले जाते हैं तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब अग्नि के सुपुर्द हो जाता है तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब अंततः राख-ढ़ेर बन जाता है तो जाने कैसा लगता होगा ?
जब गंगा में प्रवाहित हो जाता है तो जाने कैसा लगता होगा ?

बेचारगी से देखती होगी जीवात्मा अपने प्रिय पार्थिव तन को ।
जाने क्या सोचती समझती होगी कि क्या हुआ मेरे जीवन को ?
क्यूँ शौक-संताप-मातम मंडराया मेरे घर-आँगन-उपवन को ?
क्यूँ मेरे चित्र पर माला-दीपक लगा सब दुःखी करे है मन को ?

बस इतने से जीवन की खातिर मैंने जीवनभर कर्म किया ।
कभी झूठ कभी सच को लेकर गृहस्थ का हर धर्म किया ।
कभी ना सोचा-समझा मैंने कि मेरा तन अजर-अमर नहीं ।
मृत्यु तो कटु सत्य है बंदे अपने आने की देती खबर नहीं ।
पर ज्ञानी मानव जान-बूझकर अज्ञानी सा जीवन जीता है ।
जहर को अमृततुल्य समझकर बड़े यतन-जतन से पीता है ।

मेरी कलम से ✍️ सौ. सुमिता मूंधड़ा, मालेगांव

73 Views

You may also like these posts

आदमी
आदमी
अखिलेश 'अखिल'
प्रदूषण
प्रदूषण
Pushpa Tiwari
" लेकिन "
Dr. Kishan tandon kranti
पागल के हाथ माचिस
पागल के हाथ माचिस
Khajan Singh Nain
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
अपने नियमों और प्राथमिकताओं को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित क
अपने नियमों और प्राथमिकताओं को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित क
पूर्वार्थ
मां
मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Lines of day
Lines of day
Sampada
राम के नाम की ताकत
राम के नाम की ताकत
Meera Thakur
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दिल से कह देना कभी किसी और की
दिल से कह देना कभी किसी और की
शेखर सिंह
माहिया - डी के निवातिया
माहिया - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
Sahil Ahmad
कण कण में प्रभु
कण कण में प्रभु
Sudhir srivastava
*बहू- बेटी- तलाक*
*बहू- बेटी- तलाक*
Radhakishan R. Mundhra
सूनापन
सूनापन
प्रदीप कुमार गुप्ता
जीवन में जो कुछ भी आप अपने लिए करते हैं, वह आपके जाने के साथ
जीवन में जो कुछ भी आप अपने लिए करते हैं, वह आपके जाने के साथ
ललकार भारद्वाज
दोहा पंचक . . . अन्तर्जाल
दोहा पंचक . . . अन्तर्जाल
sushil sarna
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
धनिया नींबू दाम बढ़ेगा
धनिया नींबू दाम बढ़ेगा
AJAY AMITABH SUMAN
कटु दोहे
कटु दोहे
Suryakant Dwivedi
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बार-बार लिखा,
बार-बार लिखा,
Priya princess panwar
मैं नारी हूं
मैं नारी हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
Radha Bablu mishra
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
पिता
पिता
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कोख / मुसाफिर बैठा
कोख / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Loading...