मेरी कमी
मेरी कमी क्या तुझको खलती है
मेरी याद क्या कभी तुझको आती हैं
मैं क्या तेरे ख्यालो में आती हूँ
उस पल की याद आती है जो प्यार भरे थे
उस एहसासो की याद आती है जब हम साथ थे
मेरी कमी क्या तुझको खलती है! ?
माना बहुत दूर हो गए हैं हम
तुझ से मिलने को तड़प गए है हम
दिलों में प्यार जिंदा तो है
इन ख्यालों में तो आज भी हैं हम
क्या कोई ले सकता हैं ये जगह मेरी
क्या अब भी ये दिल मेरा इंतजार करता है
मेरी कमी क्या तुझको खलती हैं?
वो बात – बात पे नाराज़ होके मेरा यू कोने मे चले जाना
वो खाली पड़ा मकान मेरी याद दिलाता है
क्या वो अब सुनी पड़ी रसोई मेरी याद दिलाती है
क्या वो पल याद आते हैं जिस पल में हम होते थे
मेरी कमी क्या तुझको खलती है!?