मेरी आँखों में ये जो पानी है
मेरी आँखों में ये जो पानी है,
मेरी गुरबत की ये निशानी है।
क्यूँ गिला मुझको हो मुकद्दर से
ये तो किस्मत की मेहरवानी है।
मेरी चाहत का दीप जलने दो
इससे रौशन मेरी जवानी है।
जैसे-तैसे ये कट ही जायेगी
चार दिन और जिन्दगानी है।
दो घडी देखकर लगा ऐसा
ये मुलाकात तो पुरानी है।
प्यार करते हैं वो दिखावे का
उनका पेशा ये खानदानी है।’